ख़ुशी से नहीं कोई होता फ़नाह,
कैसे कर सकती है वो ये गुनाह,
वो तो बस दिल से होक गुज़र जाती है,
दिलों को समेटने में खुद बिखर जाती है.
ये ही है ख़ुशी की कैफ़ियत।
Welcome to Kaifiyat.
Its human trait to have emotions so lets emote and explore the colourful world of words.
Tuesday, August 7, 2012
~~~Bas yunhi kuchh~~~
Friday, June 22, 2012
आज फिर कलम ख़ुशी से छलक उठी कविताओं की क्यारी फिर से महक उठी आओ फिर से दिल का हाल सुनाएं हम कि शब्दों कि चूड़ी फिर से खनक उठी
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