~~~कोई सुबह सुहानी सी ~~~
कभी लगती है हर शै ज़िन्दगी की बेमानी सी
कभी लगती है मेरी कहानी, तेरी जुबानी सी
कभी मचलती है आसमान पे कोई घटा दीवानी सी
कभी मन को लुभा जाती है कोई सुबह सुहानी सी
कभी कुलांचे भरती लहरें, ज्यों अल्हड़ कोई जवानी सी
कभी इनपे कविता करती, एक लड़की अनजानी सी
© रचना कुलश्रेष्ठ
२७ जून २०१२
No comments:
Post a Comment