~~~ शब्द से छेड़ छाड़~~~
शब्द आया
अर्थ ने हाथ मिलाया
दोनों मज़े से रहे साथ साथ
उन दिनों पति-पत्नी से अंतरंग थे
शब्द और अर्थ
कभी शब्द विचलित होता
या दुखी होता
अर्थ संभाल लेता
ढाढस बंधता, दिलासा देता
उस समय शब्द को अर्थ पर
उतना ही भरोसा था जितना
दरख्तों को अपनी जड़ों पर होता है
एक दिन अचानक अर्थ, द्विअर्थी हो गया
भाषा से मादकता झलकी
शर्मिंदा हुआ शब्द
लाख समझाया अर्थ को
अर्थ नहीं माना, भटकता रहा घाट घाट
ऐसे में हार कर शब्द भी ढोने लगा
अर्थ का बोझ जबरन
जैसे ढोती हैं शराबी पत्नियों को
बेबस पत्नियां अक्सर
समय की भाषाई दुर्घटना में
अर्थ ने की शब्द से छेड़ छाड़
शब्द आहत हुआ, निराश हुआ
फिर खुद को संभाला
उठ खड़ा हुआ
और ओढ़ वाक्पटुता
अपने घाव छिपाने को !
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