एक भूली तस्वीर पुरानी, छिपा यहाँ
आज एक रात सुहानी, बिता यहाँ
क्यूँ दर्द बसा के सीने में, यूँ रोता है
कोई किस्सा अपनी जुबानी, बता यहाँ
मैं तुझ में रब को पा के हैरान हूँ
तुझको भी है हैरानी, ख़ुदा कहाँ
तू भी भीड़ में तन्हा खुद को पाता है
फिर मुझसे है तेरी कहानी, जुदा कहाँ
© रचना कुलश्रेष्ठ
२७ फरवरी २०१२
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