Saturday, July 19, 2014

~~~आओ इक सौदा कर लें हम~~~

आओ इक सौदा कर लें हम
और कुछ भी बाक़ी नहीं अब
न तुम करोगे आँखें नम
न पलकों पे रखूँगी मोती मैं
न तुम सजाओगे यादें मेरी
न सपनों में ढूँढूँगी मैं तुम्हें
न तस्वीर पर्स में रखना कोई
न दराज़ों में छिपाऊँगी तुम्हें
न सहेजना कोई निशानी मेरी
न तोहफ़े तुम्हारे संभालूँगी मैं
न लेना बदला ख़ुद से तुम
न सज़ा दूँगी कोई ख़ुद को मैं
और कुछ भी बाक़ी नहीं अब
आओ इक सौदा कर लें हम

- रचना १ जुलाई २०१४

तेरी रंगीनियों पे मिटने वाले बहुत थे
हम तो तेरी सादगी पे रूमानी हो बैठे

- रचना १८ जुलाई २०१४