ख़ुशी से नहीं कोई होता फ़नाह,
कैसे कर सकती है वो ये गुनाह,
वो तो बस दिल से होक गुज़र जाती है,
दिलों को समेटने में खुद बिखर जाती है.
ये ही है ख़ुशी की कैफ़ियत।
Welcome to Kaifiyat.
Its human trait to have emotions so lets emote and explore the colourful world of words.
Wednesday, March 20, 2013
~~~त्रिवेणी ~~~
(पहली कोशिश)*
हर अश्क को पलकों की कतारों पे जमा रखा है
हाँ तेरी यादों को मैंने बड़े करीने से सजा रखा है
ज़िंदगी को मांझने की ये मेरी पहली कोशिश है
- रचना कुलश्रेष्ठ
२० अक्टूबर २०१२
*(इसे लिखने में हुई तकनीकी खतामाफ़ कीजियेगा बस एक छोटी सी कोशिश है)
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