Saturday, December 15, 2012

~~~कतरा-कतरा~~~


उम्मीद  के  बादलों  से  आज  विश्वास  की  फुहारें  चली  आयीं,

एक  अरसे  से  प्यासी  मेरे  मन की  धरती  को  मिली  कुछ  राहत,

इन  फुहारों  में  ख़ुशी  से  फूटी  अरमानों  की  कोपलें  खिलखिलायीं,

कतरा-कतरा  इन  बूंदों  में  अनायास ही बहने  लगी  मैं,

हर  एक  कतरे  में  जैसे  सारी  ज़िंदगी  सिमटती चली  आयी.



27 जून  2011(c) रचना  कुलश्रेष्ठ


~~~All that I Want~~~


A few words of love 
A few words of care 
Eagerness to give 
A wanting to share. 

Just a pleasant smile 
A glitter in the eyes 
A heart of gold 
A sense of belonging. 

The tight hold of your arms 
The feeling that you are mine 
A promise to be kept life long 
A relationship that is so divine. 

It is just this much 
that i want from you 
Can u give me love, 
pure, selfless and true? 


(c) Rachana Kulshrestha

~~~पहला संवाद~~~


भोर-किरण करती हमसे, दिन का पहला संवाद 
'उठो और जगमगाओ, खिल जाओ मेरी रोशनी में'
अभी कुछ पहर, मैं हूँ यहाँ, तुम्हारे साथ, सोच लो 
फिर नहीं खोज पाओगे मुझे तुम, चाहो जितना भी 
छिप जाउंगी जा के कहीं, किसी माँ के आँचल में
ढूंढते रहोगे मुझे  सूरज छिप जाने के बाद...!

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२ अगस्त २०११


~~~Friendship Day Poem~~~


वक़्त ने ज़िन्दगी के हर पड़ाव पर,
मेरे लिए कुछ सितारे भेजे,
आँखों में सावन न आये, 
इस वास्ते कुछ नज़ारे भेजे,
आँधियों में कहीं खो न जाऊं,
संभालने को कुछ सहारे भेजे,
शुक्रिया! अदा करती हूँ ऊपर वाले का,
फरिश्तों के लिबास में जो दोस्त इतने प्यारे भेजे..!

(C) Rachana Kulshrestha
7th Aug 2011

~~~अर्थ~~~


रात, समय की शाख से
एक लम्हा टूट कर गिरा कहीं..
मैं उस वक़्त जाग रही थी.
नींद जैसे मेरी...
मेरे दरवाज़े
तक आके लौट गई थी.

खामोशी, जो दूर तलक
बिखरी थी..
मैं उसकी
आवाज़ सुन पा रही थी.

रुखसत के वक़्त
तुम्हारी आँखों ने
बहुत कुछ कहा था...
मैं आज भी उन
शब्दों का अर्थ
ढूंढती हूँ शायद...!

© रचना कुलश्रेष्ठ


~~~आरज़ू~~~


खुबसूरत  हो  तुम  इतनी  की, बस  पाने  की  आरज़ू  होती  है,
पास  जाएँ  तो  कैसे  ये  Complex feeling क्यूँ  होती  है,
कहानियों  में  सुना  है, किताबों  में  पढ़ा  है,
लेकिन  अप्सराएँ  भी  कभी  ज़मीन  पर  होती  हैं ?

क्या  यह  ख्वाब  है  या  तुम standards से  परे  हो,
ये  नयन  तुम्हारे  ही  ख़्वाबों  से  भरे  हों, 
ज़हन  में  ख़याल  बन  के  थम  जाती  हो 
जहाँ  भी  जाती  हो, show stealer बन  जाती  हो,

यूँ  ही  पलकों  पे  अश्क  मेरे  सजा  देती  हो,
 Traditional को  तुम  abstract बना  देती  हो, 
यह  इन्तेहाँ  है  या  एक  और  जलवा  तुम्हारा,
Perfection को  भी  perfect बना  देती  हो.

तुम  पास  होती  हो  तो  हर  season खुशनुमा  होता  है, 
तुम्हारे  आने  से  रेत  पे  पानी  का  गुमाँ  होता  है,
जब  भी  मेरी  life  में  ग़मगीन  समाँ  होता  है, 
तुम  चली  आती  हो  और  हर  शोर  बेज़ुबां  होता  है. 

अब  इस  दिल  की  आरजू  को  stop  करें  कैसे,
Picture अपनी  hit है  इसे  flop करें  कैसे,
तुम्हें  एक  बार  छूने  की  तमन्ना  है.. लेकिन,
ओस  की  बूँद  हो  तुम  नाज़ुक  सी, तुम्हें  छूएं  कैसे. 



(C) Deepak Babber & Rachana Kulshrestha
(Creative Concept by Deepak & creative support by Rachana)
5th Jan 2012

~~~सपना~~~


एक सपना बुन बैठी शीशे के धागों से,
दिल को भर बैठी अपनी ही आहों से, 
अब जोड़ रही हूँ टुकड़े ज़िंदगी के, 
तोड़ जिसे मैं बैठी अपनी ही चाहों से .

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२३ फ़रवरी २०१२ 


~~~इश्कजादे~~~


उन आँखों ने कुछ देखे सपने,
साथ जीने के कुछ किये थे वादे,
किस्मत ने पर किये कुछ और इरादे,
संग जीने की चाह में मर गए वो 'इश्कजादे'.

22 मई 2012
- रचना कुलश्रेष्ठ


~~~सबूत~~~


क्यूँ रंग सुर्ख हो जाता है रुखसारों का यूँ बार बार...
या तो मैं शर्मसार हूँ या सबूत है ये तेरे पास होने का...!

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२९ मई २०१२ 


~~~असर~~~


ये यकीनन तेरी रहमतों का ही असर है मेरे खुदा...
हाथ खाली हैं मेरे पर दिल है लबालब भरा हुआ.

(C) - रचना कुलश्रेष्ठ 
११ जून २०१२ 


~~~जुदा कहाँ~~~


एक भूली तस्वीर पुरानी, छिपा यहाँ
आज एक रात सुहानी, बिता यहाँ 

क्यूँ दर्द बसा के सीने में, यूँ रोता है 
कोई किस्सा अपनी जुबानी, बता यहाँ 

मैं तुझ में रब को पा के हैरान हूँ 
तुझको भी है हैरानी, ख़ुदा कहाँ 

तू भी भीड़ में तन्हा खुद को पाता है 
फिर मुझसे है तेरी कहानी, जुदा कहाँ

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२७ फरवरी २०१२