Saturday, December 15, 2012

~~~पहला संवाद~~~


भोर-किरण करती हमसे, दिन का पहला संवाद 
'उठो और जगमगाओ, खिल जाओ मेरी रोशनी में'
अभी कुछ पहर, मैं हूँ यहाँ, तुम्हारे साथ, सोच लो 
फिर नहीं खोज पाओगे मुझे तुम, चाहो जितना भी 
छिप जाउंगी जा के कहीं, किसी माँ के आँचल में
ढूंढते रहोगे मुझे  सूरज छिप जाने के बाद...!

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२ अगस्त २०११


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