Saturday, December 15, 2012

~~~सबूत~~~


क्यूँ रंग सुर्ख हो जाता है रुखसारों का यूँ बार बार...
या तो मैं शर्मसार हूँ या सबूत है ये तेरे पास होने का...!

© रचना कुलश्रेष्ठ 
२९ मई २०१२ 


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