Saturday, January 22, 2011

Tribute to my Father


खतम हुई बाती उसकी और...
आखिरी बूंद जल गई जीवन घ्रत की
लौ मगर उस दीपक की
चिर स्थाई है ह्र्दय मैं मेरे
वो जला निरंतर, निःशब्द ही
भस्म करता स्वयं को और...
समेटता कतरे लहू के
राह से अडिग और द्‍ढ.
अपने जीवन धेय पर...

समर्पित है उसको संपूर्ण ये अस्तित्व मेरा
उस ज्योति का अंश मात्र है ये व्यक्तित्व मेरा

© Rachana Kulshrestha
12th Sep 2005