Monday, July 23, 2012

~~~कुछ ख्वाब~~~


कुछ ख्वाब हमारी आँखों से ढलने लगे
कुछ अरमान हमारे दिल के पिघलने लगे
यूँ तो अब भी डर लगता है गिरने से हमें 
लेकिन अब हम गिर के संभलने लगे 

रचना कुलश्रेष्ठ 
११ जुलाई २०१२



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